Tuesday, 3 December 2013

हँस कर तो कहो

कुछ हँस कर करे बात -तो शायद गम्भीर मुद्दो को सुलझा ले जाये
नारी -पुरुष मित्रता को आसामान्य मान कर उससे इतना न घबराये
जब तक नारी में विचार नहीं देखेंगे  आकर्षण  दिखेगा उसकी देह में
जब पात्रता-योग्यता समझोगे तो राष्ट्र -समाज निर्माण में उसे लगाये
नहीं दुश्मन कोई किसी का ये तो परिवार की  संस्कार श्रंखला टूटी है
दहेज़ नहीं संपत्ति अधिकार देकर देखो समानता फिर कैसे न दिख जाए -------------इन्दू 

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