Monday, 30 September 2013

अभिव्यक्ति के अधिकार के अभ्यास का सुअवसर

फेस  बुक हमारे आपके  लिए एक डायरी ही नहीं
यहाँ केवल शेरो शायरी ही नहीं
ट्विटर पर कोई चुटकी लेले
भावनाओ से कोई खेले
इससे बहुत ही अधिक है ये संपर्क संजाल
बता सकते है चिंतन-स्तर का हाल
आपके शब्द -पोल खोल जाते है
जो कही न बोले  हो वो भी बोल जाते है
ये अभिव्यक्ति करना सीखा रहा है ----अधिकार को कर्तव्य बना रहा है
अभी --कुछ को ही इसे प्रयोग कर जाने की कला आई है
राजीनतिज्ञो  को भी लगा कि कहाँ से  ये बला  आई है
लेखको -को भी सहयोग मिला
संस्थाओ को भी उपयोग मिला
गृहणी भी कुछ मन की कहने लगी
वादी अपने वकील को ना सहने लगी ------
-[क्यूंकि नेट पर वो अपनी बात कह लेती है -तो उसे मदद मिल जाती है --अपने वाद के बारे में जानने ,समझने की ]
ये तंत्र अब षड्यंत्रों को खोल रहा
शब्की शैली - ऊर्जा को तोल रहा
संस्कृति को भटकाने वालो को भी अवसर मिल रहे
प्रोफाइल और पेज में बस इतना अंतर
पेज  में नाम बताये बिना भी पोस्ट पढने की छूट
दूसरी में --निवेदन करना जरूरी है -मित्र बनना -प्रक्रिया है --
ज्यादा समय माँगता है -मित्रो के सन्देश बॉक्स में स्पैम के संग मिल जाते है
अभिव्यक्ति ही नहीं सीखे जो वो ही घबराते है और कभी कभी कुछ गलत ही कह जाते है
सच तो ये है --तर्क -वितर्क का बहुत अच्छा अवसर --
अब आम आदमी कभी भी अपने नेता या अधिकारी से पूछ सकता सवाल
कभी भी किसी अच्छी बुरी घटना का विडियो उसकी वाल पर दे सकता डाल
इसलिए आइये अपनी काबिलियत अपने शब्दों में तो छलकाइए
संवेदनशीलता का प्रमाणपत्र बिना किसी औपचारिकता के ले जाइये
शब्द बोलते है राज सारे खोलते है ---साहस आपके भीतर का टटोलते है

------------क्रमश :---इन्दू

No comments:

Post a Comment